हाईकोर्ट ने ऊर्जा निगम में कार्यरत अधिकारियों और कर्मचारियों को पावर कार्पोरेशन की ओर से सस्ती दरों पर बिजली देने और इसका सीधे बोझ आम जनता पर डालने के मामले में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद पावर कार्पोरेशन के एमडी को दो सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने एमडी से पूछा है कि अभी तक कितने कर्मचारियों के घरों में मीटर लग चुके हैं और कर्मियों वर्ष भर में कितनी यूनिट बिजली किस दर से दी जाती है। कोर्ट ने कहा है कि 2018-19 में कितना राजस्व इनसे वसूला गया और निगम को कितना घाटा हुआ। कोर्ट ने मामले में स्पष्ट जवाब नहीं देने पर नाराजगी भी जताई। पक्षों की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट की खंडपीठ ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 10 फरवरी की तिथि नियत की। सुनवाई के दौरान कार्पोरेशन की ओर से कोर्ट को बताया गया कि उन्होंने बोर्ड मीटिंग में कर्मचारियों को दी जाने वाली सस्ती बिजली का प्रस्ताव रखा है। जिसमें चतुर्थ श्रेणी कर्मी को आठ हजार यूनिट, तृतीय श्रेणी को दस हजार, प्रथम श्रेणी को ग्यारह और बारह हजार यूनिट बिजली निशुल्क देने का प्रस्ताव शामिल है। इससे अधिक खर्च पर पचास प्रतिशत के हिसाब से भुगतान करेंगे।
सस्ती बिजली मामले में हाईकोर्ट ने ऊर्जा निगम के एमडी से मांगा जवाब